सिमडेगा कॉलेज में आयोजित वन अधिकार अधिनियम कार्यशाला में पहुंचे केंद्रीय मंत्री अंर्जुन मुंडा

सिमडेगा भारत सरकार के माननीय केन्द्रीय, जनजातीय कार्य एवं कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुण्डा जी ने सिमडेगा कॉलेज ऑडिटोरियम पहुंच वन अधिकार अधिनियम कार्यशाला -सह- प्रशिक्षण कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। माननीय केन्द्रीय मंत्री जी का उपायुक्त सिमडेगा अजय कुमार सिंह ने पौधा भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, उपायुक्त महोदय अजय कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक सौरभ कुमार, जिला परिषद अध्यक्ष रोस प्रतिमा सोरेंग, सिमडेगा विधायक प्रतिनिधि संतोष सिंह, कोलेबिरा विधायक प्रतिनिधि मो. समी आलम आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।कार्यक्रम में आईटीडीए निदेशक अमरेंद्र कुमार सिन्हा ने लोगो का स्वागत करते हुए जनजातीय लोगों को दिए जाने वाले वन अधिकार अधिनियम के बारे में विस्तृत जानकारी दी । उपायुक्त ने कार्यशाला -सह- प्रशिक्षण कार्यक्रम में माननीय मंत्री सहित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए वन अधिकार अधिनियम कार्यशाला के उद्देश्य को बताया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम, 2006 एवं बाद में भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय की 2008 एवं 2012 की अधिसूचना को संक्षिप्त रूप में वन अधिकार कानून, 2006 कहते हैं। यह कानून एक ऐतिहासिक विधान है, जिसका मूल मकसद अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासियों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को मिटाना है। स्वतंत्र भारत में भी इस एक्ट के पूर्व फॉरेस्ट राइट की मान्यता नहीं दी गई थी। किन्तु विगत वर्षों में यह पाया गया है कि इस कानून के क्रियान्वयन में स्टेकहोल्डर के बीच जागरूकता की कमी, प्रक्रियात्मक विलम्ब एवं जिम्मेवार व्यक्तियों की कमतर रूचि के फलस्वरूप इसका लाभ लक्षित समूह को नहीं दिया जा सका है। 30 जून, 2023 तक के देशभर आंकड़ों को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि झारखण्ड राज्य में भी इस कानून का अधिकतम लाभ लक्षित समूह को प्रदान नहीं किया जा सका है। इस तारीख तक जहां छत्तीसगढ़ में 4.57,145 तथा ओडिसा में 4,56,923 व्यक्तिगत वन पट्टा निर्गत किया गया है, वहीं इस राज्य में वन अधिकार कानून बनने के बाद से अब तक मात्र 59,866 वन अधिकार अधिनियम पट्टा ही निर्गत किया गया है। सामुदायिक वनपट्टा के मामले में जहाँ छत्तीसगढ़ में 45,965 पट्टे निर्गत किये गये हैं वहीं झारखण्ड में अब तक मात्र 2,104 सामुदायिक वनपट्टा निर्गत किया गया है। अन्य समस्याओं के अतिरिक्त इस कानून के निर्बाध क्रियान्वयन में सरकारी एवं वन अधिकार समितियों के बीच कानूनी प्रावधानों की कम समझ भी शामिल है।

राजस्व पंचायत स्तरीय राजस्व कर्मी एवं वन कर्मियों की भूमिका इस कानून के सफल क्रियान्वयन के लिए अनिवार्य है। राज्य सरकार द्वारा विगत दिनों इससे निपटने का व्यापक प्रयास किया गया है और “अबुआ बीर दिशोम अभियान” के माध्यम से ग्रामसभा के द्वारा वन अधिकार समिति का पुनर्गठन करते हुए वनोपज आश्रित आदिवासी तथा अन्य परम्परागत वन निवासियों को उनकेकब्जे की कृषि और आवासीय भूमि तथा कृषि संबंधी अन्य क्रियाकलापों जैसे बथान, खलिहान, बनोपज आदि की जमीन पर उनके अधिकारों को मान्य करने का प्रयास किया गया है। आदिवासी कल्याण आयुक्त के कार्यालय द्वारा एक एंड्रॉइड एप्लिकेशन तैयार कर वैयक्तिक एवं सामुदायिक वनपट्टा से संबंधित दावों की फाईलिंग एवं ट्रैकिंग के लिए झारफ्रा आवेदन पत्र तैयार किया गया है। जिसके सफल संचालन के माध्यम से वन अधिकार कानून का सिमडेगा जिले में सफल क्रियान्वयन हेतु आज इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। यह जानकारी देना आवश्यक है कि वन अधिकार कानून के अंतर्गत सिमडेगा जिले में वन अधिकार कानून के तहत 2021-22 तक कुल 9681 व्यक्तिगत वन पट्टा का वितरण किया गया है तथा 83 सामुदायिक वन पट्टा का वितरण किया गया है। जिसमें 10,434.29 एकड़ भूमि सम्मिलित है। विगत दिनों प्रत्येक वन ग्रामों में वन सभा का आयोजन कर कुल 438/454 वन अधिकार समिति का पुनर्गठन कर लिया गया है। इन वन अधिकार समितियों द्वारा पूर्व में प्राप्त वैयक्तिक एवं सामुदायिक दावों के निष्पादन के साथ-साथ नये दावों को भी प्राप्त कर नियमानुसार उसके निष्पादन की कार्रवाई प्रारम्भ की जा चुकी है। कार्यक्रम में लोगो को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने वन अधिकार अधिनियम कानून की जरूरत और इसके महत्व को बताते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय को पहचान दिलाने के लिए वन अधिकार अधिनियम के माध्यम से वन पट्टा दिया जाना है। जंगल के महत्व को उन्होंने सभी उपस्थित लोगो को बड़े ही रोचक ढंग से बताया। सरकार के द्वारा आदिवासियों के हक एवम समृद्धि के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी साझा किया।उन्होंने कहा की जंगल हमारा है और हम जंगल के हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से कहा कि ग्राम सभा गठित करते हुए जनजातीय समुदाय को चिन्हित करते हुए वन पट्टा निर्गत करें। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सिमडेगा जिला सबसे पहले इसे संपादित करे। जिससे यह जिला एक उदाहरण बने।मौके पर जिला कल्याण पदाधिकारी सरस्वती कच्छप अन्य पदाधिकारीगण एवं कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

Related posts

Leave a Comment